LOA & PPA Approved — अब कैसे लगवाएं सोलर प्लांट? जानें पूरी प्रक्रिया

Commercial Solar

22 November, 2025

भारत में सोलर एनर्जी की मांग तेज़ी से बढ़ रही है, और इसी विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री कुसुम (A) योजना शुरू की है। इस योजना के तहत किसान, भूमि मालिक और निवेशक अपने खेतों या जमीन पर सोलर प्लांट लगाकर 25 साल तक स्थिर आय कमा सकते हैं। यदि आपका LOA (Letter of Award) और PPA (Power Purchase Agreement) Approved हो चुका है, तो इसका मतलब है कि आपका प्रोजेक्ट आधिकारिक रूप से स्वीकृत है और अब आपको आगे की इंस्टॉलेशन प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। लेकिन कई लोग LOA–PPA के बाद यह समझ नहीं पाते कि अब अगला कदम क्या है, किन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ेगी, किस EPC कंपनी को चुनना चाहिए, और पूरी प्रक्रिया में क्या-क्या शामिल होता है। इस ब्लॉग में हम पूरी प्रक्रिया आसान भाषा में समझेंगे ताकि आपका कुसुम (A) सोलर प्रोजेक्ट बिना किसी देरी और परेशानी के शुरू हो सके।

1. LOA & PPA Approved होना क्यों महत्वपूर्ण है?

सबसे पहले यह जान लें कि LOA और PPA का मतलब क्या होता है और यह आपके लिए क्यों महत्वपूर्ण है: ✔ LOA – Letter of Award यह वह आधिकारिक पत्र है जिसमें DISCOM या संबंधित विभाग आपके सोलर प्रोजेक्ट को प्रारंभिक मंजूरी देता है। इसका मतलब — आपकी जमीन उपयुक्त मानी गई है, तकनीकी मूल्यांकन पास है, और अब आपका प्रोजेक्ट आगे बढ़ाया जा सकता है। ✔ PPA – Power Purchase Agreement PPA वह कानूनी अनुबंध है जिसमें DISCOM यह तय करता है कि वह अगले ★ 25 साल तक आपकी सोलर प्लांट से बिजली खरीदेगा। PPA मिलने का मतलब है कि आपके प्रोजेक्ट की आय सुरक्षित है और आपकी कमाई सुनिश्चित।

2. LOA–PPA के बाद सोलर प्लांट कैसे लगवाएं? पूरी इंस्टॉलेशन प्रक्रिया

अब बात करते हैं सबसे महत्वपूर्ण हिस्से की — इंस्टॉलेशन प्रक्रिया। LOA और PPA Approved होने के बाद आपको नीचे दिए गए स्टेप्स फॉलो करने होते हैं:

1️⃣ साइट सर्वे और DPR (Detailed Project Report) LOA मिलते ही सबसे पहले आपकी साइट पर एक तकनीकी टीम आती है। यह टीम निम्नलिखित मूल्यांकन करती है: भूमि का आयाम और समतलता सोलर मॉड्यूल लगाने की दिशा ट्रांसफार्मर और इन्वर्टर की लोकेशन केबलिंग रूट शेडिंग एनालिसिस इन्हें ध्यान में रखते हुए DPR तैयार की जाती है। यह पूरी इंस्टॉलेशन प्रक्रिया का ब्लूप्रिंट होती है।

2️⃣ बैंकिंग और फाइनेंसिंग LOA–PPA मिलने के बाद आपको बैंक से लोन लेने में आसानी होती है क्योंकि: ✔ आपका प्रोजेक्ट सरकार द्वारा अनुमोदित है ✔ आपकी बिजली वापस खरीदने का अनुबंध तय है ✔ आपकी आय पहले से सुनिश्चित है एक अच्छी EPC कंपनी आपको फाइनेंसिंग सहायता भी प्रदान करती है।

3️⃣ EPC कंपनी चुनना – सबसे महत्वपूर्ण चरण आपका सोलर प्लांट कितने साल चलेगा, कितनी बिजली देगा, कितनी कमाई होगी — यह पूरी तरह निर्भर करता है कि आपकी EPC कंपनी कितनी अनुभवी और भरोसेमंद है। EPC चुनते समय देखें: क्या कंपनी कुसुम (A) प्रोजेक्ट्स में अनुभव रखती है? क्या कंपनी MNRE Approved Material उपयोग करती है? क्या कंपनी प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करती है? क्या कंपनी AMC और सर्विस सपोर्ट देती है? उदाहरण के लिए, Mittal Solar मध्य प्रदेश के कई कुसुम (A) प्रोजेक्ट्स सफलतापूर्वक इंस्टॉल कर चुका है और LOA–PPA सपोर्ट भी प्रदान करता है।

4️⃣ Material Procurement सोलर प्लांट की दक्षता काफी हद तक Material की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। इन चीजों पर विशेष ध्यान दें: ✔ उच्च दक्षता वाले Solar Modules TOPCon, Mono Perc, DCR, Non-DCR — जरूरत के अनुसार चयन करें। ✔ On-Grid Solar Inverter Polycab, Sungrow, Adani, Growatt आदि विश्वसनीय ब्रांड चुनें। ✔ Strong Galvanized Iron Structure Anti-rust स्ट्रक्चर जरूरी है, क्योंकि सोलर प्लांट 25 साल चलेगा। ✔ High-grade AC/DC Cable सुरक्षा और पावर लॉस रोकने के लिए स्टैंडर्ड केबल का इस्तेमाल अनिवार्य है।

5️⃣ Plant Installation & Commissioning EPC टीम निम्न प्रक्रिया के तहत इंस्टॉलेशन शुरू करती है: ⚡ पाइल ड्राइविंग और स्ट्रक्चर इंस्टॉलेशन भूमि को मार्क कर सटीक लेवलिंग की जाती है। ⚡ सोलर मॉड्यूल माउंटिंग पैनल 25–35 डिग्री के उपयुक्त एंगल पर लगाए जाते हैं। ⚡ इन्वर्टर इंस्टॉलेशन ग्रिड-कनेक्टेड इन्वर्टर को सुरक्षित लोकेशन पर लगाया जाता है। ⚡ AC/DC Cabling ऊर्जा प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए उचित केबलिंग की जाती है। ⚡ प्रोटेक्शन सिस्टम SPD, MCB, MCCB, Lightning Arrestor आदि अनिवार्य हैं। यह सब MNRE और DISCOM के मानकों के अनुसार होना चाहिए।

6️⃣ Inspection & Net Metering Approval इंस्टॉलेशन पूरी होने के बाद DISCOM की टीम साइट का निरीक्षण करती है। निरीक्षण पास होने पर: ✔ Net Metering ✔ Grid Synchronization होता है और प्लांट आधिकारिक रूप से चालू (Commissioned) हो जाता है।

7️⃣ अब शुरू होती है आपकी आय! आपके प्लांट से रोजाना बिजली उत्पन्न होती है और DISCOM इसे ग्रिड में खरीदता है। आपको यह बिजली तय दर पर भुगतान की जाती है। यह आय अगले 25 साल तक सुनिश्चित रहती है—यानी यह एक सुरक्षित और लंबी अवधि का निवेश है।

3. क्यों Mittal Solar चुनना चाहिए?

यदि आपका LOA–PPA Approved है, तो आपको एक विश्वसनीय EPC पार्टनर की आवश्यकता है। Mittal Solar इसके लिए एक भरोसेमंद नाम है। ✔ LOA–PPA डॉक्यूमेंटेशन सपोर्ट ✔ High-quality MNRE Approved Material ✔ End-to-End EPC Services ✔ Timely Installation Guarantee ✔ After-sales Service & AMC Support हमारी टीम ने मध्य प्रदेश में कई कुसुम (A) प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। Keyword: Kusum A Solar Yojana , Solar Plant for Farmers

Conclusion

यदि आपका LOA और PPA Approved हो गया है, तो यह आपकी सफलता का आधा सफर पूरा हो चुका है। अब आपको एक अनुभवी EPC कंपनी की जरूरत है जो आपके प्रोजेक्ट को समय पर और उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा करे।

Table of Content
  • Introduction
  • LOA & PPA Approved होना क्यों महत्वपूर्ण है?
  • LOA–PPA के बाद सोलर प्लांट कैसे लगवाएं? पूरी इंस्टॉलेशन प्रक्रिया
  • क्यों Mittal Solar चुनना चाहिए?
  • Conclusion
Kusum A Solar Yojana
LOA PPA Solar Project
Solar Plant Installation Process
Kusum Yojana EPC Company
On Grid Solar Plant Cost
Solar Plant for Farmers
MNRE Approved Solar EPC
Solar Energy Government Scheme
Solar Plant Subsidy India